प्रवेंद्र सिंह चमोली जिले के सबसे दूरस्थ गांव ईराणी में रहते हैं। उन्होंने पढ़ाई के साथ बकरी चराई, खेत में हल लगाया और जब परीक्षा परिणाम आया तो प्रवेंद्र प्रदेश के टॉप 25 की सूची में 19वें स्थान पर आए। प्रवेंद्र का गांव इतना दूरस्थ है कि परीक्षा परिणाम आने के काफी देर तक भी उन्हें इस बारे में पता नहीं चल पाया।
जब अमर उजाला की ओर से उन्हें फोन किया गया तब उन्हें अपना नाम मेरिट लिस्ट में होने की जानकारी मिली। उस वक्त वह खेत में गुड़ाई का काम कर रहे थे। चमोली जिले के सबसे दूरस्थ क्षेत्र में है ईराणी गांव। यहां जाने लिए आज भी करीब 10 किमी की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।
ईराणी के प्रवेंद्र सिंह ने राजकीय इंटर कॉलेज पाणा-ईराणी से 12वीं की परीक्षा दी। प्रवेंद्र ने 500 में से 464 अंक हासिल किए और 92.80 प्रतिशत के साथ 19वीं रैंक हासिल की। प्रवेंद्र के पिता देवेंद्र सिंह बकरी पालन का काम करते हैं जबकि मां हेमा गृहणी हैं। प्रवेंद्र ने बताया कि मां अक्सर बीमारी रहती है। ऐसे में पढ़ाई के साथ उन्होंने घर के काम में हाथ बंटाया, बकरी चराई और खेती भी की।\
जुड़वा भाई-बहन ने मेरिट सूची में बनाई जगह
उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में इंटरमीडिएट में रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि निवासी जुड़वा भाई-बहन ने प्रदेश की मेरिट सूची में स्थान बनाया है। उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में अगस्त्य पब्लिक इंटर कॉलेज के छात्र अंशुल नेगी ने 97 फीसदी अंकों के साथ प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है, वहीं उनकी बहन अंशिका ने 95 फीसदी अंकों के साथ आठवें स्थान पर रहीं। 16 वर्षीय अंशुल जेईई मेंस की परीक्षा में भी पास कर चुके हैं और अब वह एडवांस की तैयारी में जुट गए हैं। अगस्त्यमुनि ब्लॉक के ढौंढिक क्यूड़ी गांव निवासी भरत सिंह नेगी व शारदा नेगी की तीन संतानों में तीसरे अंशुल नेगी ने बताया कि उसने जो स्कूल में पढ़ाई की उसका घर में रिवीजन किया। बताया कि पढ़ने का कोई तय समय नहीं होता, जब मन करे तब पढ़ें और पूरे मनोयोग से पढ़ें, उसी से सफलता मिलना तय है। मेरा लक्ष्य सिर्फ पढ़ना था। कहा कि मेरी सफलता में मेरे विद्यालय, शिक्षक, माता-पिता और दोनों बहनों की अहम भूमिका है। अंशुल ने 500 में 485 अंक प्राप्त किए हैं।